कभी यूं भी आया करो रोमांटिक कविता

🌸Good☕ morning👏 कभी यूँ भी आ मेरी आँख में की" मेरी नज़र को ख़बर न हो मुझे एक रात नवाज़ दे मगर उसके बाद सहर न हो वो बड़ा रहीम-ओ-करीम है मुझे ये सिफ़त भी अता करे तुझे भूलने की दुआ करूँ तो दुआ में मेरी असर न हो मेरे बाज़ुओं में थकी-थकी, अभी महव-ए-ख़्वाब है चांदनी न उठे सितारों की ______, अभी आहटों का गुज़र न हो कभी दिन की धूप में झूम के कभी शब के फूल को चूम के यूँ ही साथ साथ चलें सदा कभी ख़त्म अपना सफ़र न हो मेरे पास मेरे हबीब आ ज़रा और दिल के क़रीब आ तुझे धड़कनों में बसा लूँ मैं की बिछड़ने का कोई डर न हो दोस्तो ऐ अधुरा है.. थोडा़ सा.. ___,,,__/\__,,,___ 🙏

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