बहुत अच्छा कविता गलेमिल
🌹Good☕morning🌹
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कोई हाथ भी न मिलाएगा
जो गले मिलोगे तपाक से,
ये नए मिज़ाज का शहर है
ज़रा फ़ासले से मिला करो
दुश्मनी जम कर करो
लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त
हो जाएँ तो शर्मिन्दा न हों
मुसाफ़िर हैं हम भी
मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर
मुलाक़ात होगी
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यों कोई बेवफ़ा नहीं होता
बड़े लोगों से मिलने में
हमेशा फ़ासला रखना
जहाँ दरया समन्दर से मिला,
दरया नहीं रहता
हम तो दरिया हैं
हमें अपना हुनर मालूम है
हम जहाँ से जाएँगे,
वो रास्ता हो जाएगा
मुझसे बिछड़ के ख़ुश रहते हो
मेरी तरह तुम भी झूठे हो
बड़े शौक़ से मेरा घर जला
कोई आँच न तुझपे आयेगी
ये ज़ुबाँ किसी ने ख़रीद ली
ये क़लम किसी का ग़ुलाम है
सब कुछ खाक हुआ है
लेकिन चेहरा क्या नूरानी है
पत्थर नीचे बैठ गया है,
ऊपर बहता पानी है
यहाँ लिबास की क़ीमत है
आदमी की नहीं ,
मुझे गिलास बड़े दे
शराब कम कर दे
सुक्रीयाँ
___,,,__/\__,,,___दोस्तो
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