भोजपुरी कविता

Firend's Happy__life 🏇भोजपुरी🐎 |-------------👇-------------| काहे मुंह बना के जियत बानी.. मावुर घुट-घुट पियत बानी.. मानत बानी की दुकान जिनगी के समस्या से भरपूर बा. पर हँसे दी महाराज होंठवा के, आखिर वोकर कौन कसूर बा. सुख दुःख के मौसम त आवत जात रहेला. कबो हंसवेला त,कबो रुलावात रहेला. मानत बानी अपना मुड़ी पर किस्मत के हाथ नइखे. पर खुद से रूठ गईल भी कौनो अच्छा बात नइखे. बस कदम बढाई इ मत देखि, की मंजिल केतना दूर बा. हँसे दी महाराज होंठवा के, आखिर वोकर कौन कसूर बा. जब होनी के अनहोनी में आदमी ढाल नइखे सकत. जब किस्मत में लिखल बात के टाल नइखे सकत कब लोर बहवला से अच्छा बा, खिलखिला के हसल. की मन रहे तरोताजा मुरझाव ना उत्साह के फसल. ये चार दिन के जिनगी में कौना बात के गुरुर बा.. हँसे दी महाराज होंठवा के, आखिर वोकर कौन कसूर बा. ====================== #Skg धन्यबाद ____,,,,,___/\___,,,,,____

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