मैं ईश्वर को कैसे मानू

 मैं ईश्वर को किस आधार पर मानू ?


इंसान के जीवन में ईश्वर का क्या योगदान है ?


शरीर माता पिता की देन है, कर्म स्वयं पर निर्भर है।


पेट खुद को ही भरना है, मृत्यु अटल है।


ईश्वर की पूजा करना है तब भी मरना है, न करूँ तब भी।


अपनी रक्षा खुद ही करनी है।


मरने के बाद जीवन है या नहीं यह बात किसी को नहीं पता।


धर्म की किताबों में स्वर्ग नर्क लिखा है कि ब्राह्मणों की सेवा करना और दान देना पुण्य मिलता है जिससे स्वर्ग में जगह मिलती है, और ब्राह्मणों के साथ दुर्व्यवहार करना अथवा बुरा कर्म करना पाप लगेगा जिससे नर्क में जाना पड़ेगा और वहाँ पर सजा मिलेगी। सवाल यह है : मृत प्राणी बता नहीं सकता जिंदा आदमी देखा नहीं फिर यह बात किसने बताई कि स्वर्ग में अप्सराएं मिलती हैं और नर्क में सजा ?


अभी तक मैंने किसी ईश्वर को न तो देखा है और न ही महसूस किया है।


फिर मैं किस आधार पर ईश्वर को मानू ?

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