ब्राह्मणों का धंधा
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😊 *#ब्राह्मणों_के_धन्धे !!*
*1) ज्योति राव फुले कहते--जिस तरह बाल काटना नाई का धर्म नहीं धंधा हैं, चमड़े से जूते बनाना मोची का धर्म नहीं धंधा हैं, उसी तरह पूजा-पाठ करना, करवाना, मन्दिर में घण्टी बजाना, कथा-भागवत करना ब्राह्मण का धर्म नहीं धंधा हैं !!*
*2) बाबा साहब अम्बेडकर कहते हैं--जिस तरह मनुष्य नश्वर हैं ठीक उसी तरह विचार भी नश्वर हैं । जिस तरह पौधे को जिन्दा रखने के लिए पानी की जरूरत पड़ती हैं उसी तरह एक विचार को जिन्दा रखने के लिए प्रचार प्रसार की जरूरत होती हैं वरना दोनों मुरझा कर मर जाते है !!*
*😊 #इसीलिये ब्राह्मण प्रतिवर्ष विभिन्न तीज-त्यौहार और अपने भगवान, देवी-देवताओं की जयन्तियां मनाते हैं ?*
👌 *# ब्राह्मणों के द्वारा विभिन्न प्रकार के तीज-त्यौहार और देवी-देवताओं (राम, कृष्ण और हनुमान ) की जयन्तियां मनाना धर्म नहीं धन्धा हैं !!*
👍 *#यदि ब्राह्मण तीज-त्यौहार और देवी-देवताओं की जयन्तियां मनाना बन्द कर दे तो इन तीज-त्यौहार को एवम ब्राह्मणों के भगवान व देवी-देवताओं को आमलोग 5 वर्ष में भूल जाएँगे ?*
😊 *#क्या पूजा-पाठ, कथा-भागवत और तीज-त्यौहार के बिना हमारा काम नहीं चल सकता ?*
😢 *#कोरोना महामारी की वजह से हुए लॉक-डाउन में मंदिरों में ताले लग जाने से पुजा-पाठ बन्द हो गए, विभिन्न तीर्थों की यात्राएं बन्द हो गई , पवित्र नदियों में स्नान बन्द हो गये, धूमधाम से मनाये जाने वाले तीज-त्यौहार ठीक से नहीं मना सके एवम देवी-देवताओं की जयन्तियां भी नहीं मना सके तो आमलोगों को कोई फर्क पड़ा क्या ?*
😊👌 *#फिर किसको फर्क पड़ा ?*
👌👌 *#सिर्फ और सिर्फ ब्राह्मणों, पंडे-पुजारियों एवम कथा-भागवत करने वाले पंडितों को ही फर्क पड़ा !! उनके सामने रोजीरोटी का संकट पैदा हो गया ?*
*👍 इसलिए मूलनिवासी समाज में पैदा हुए कबीर, रविदास, तुकाराम, महात्मा ज्योतिबा फुले, पेरियार रामासामी और बाबा साहब अम्बेडकर के द्वारा दिये गए संदेश को ठीक से समझ कर समाज को ब्राह्मणों के द्वारा फैलाये गए पाखण्ड एवम अंधविश्वास से छुटकारा दिलवाने के लिए अपना समय, बुद्धि, पैसा, हुनर एवम श्रम का इन्वेस्टमेंट करेंगे तो आप और आपकी आने वाली पीढ़ियां जिन्दा स्वर्ग देख सकती हैं !!*
*#चिंतन करें ।।*
( *#नोट:-मूलनिवासियों के भगवान और ब्राह्मणों के भगवान अलग अलग है इसलिए अपने भगवान/ देवी-देवता-प्रकृति, पुरखे, बड़े-बूढ़े हैं उनकी पूजा और रक्षा करे ।। )*
एच एन रेकवाल
राष्ट्रीय अध्यक्ष
राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद, नई दिल्ली
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