ब्राह्मणों का राज


 भारत में ब्राह्मणों की आबादी मात्र साढ़े तीन प्रतिशत है, लेकिन फिर भी वो देश के हर क्षेत्र में कब्जा जमाए बैठे हैं लेकिन देश की पच्चासी प्रतिशत आबादी वाले मूलनिवासी बहुजन समाज को हमेशा ही गुलाम बना कर रखा गया है ।

लोकतंत्र का मतलब ये होता है जिस समाज की आबादी ज़्यादा हो, वही समाज देश की सत्ता पर काबिज होना चाहिए, लेकिन ब्राह्मणों द्वारा बनाई वर्ण व्यवस्था को ही अपना आदर्श मानने वाली आरएसएस के गर्भ से पैदा हुई बीजेपी कभी भी नहीं चाहती कि अनुसूचित जाति का कोई भी व्यक्ति देश का प्रधानमन्त्री तो क्या किसी राज्य का मुख्यमंत्री भी बने !

2022 में होने वाले पंजाब विधान सभा चुनावों में जीत हासिल करने के लिए अपना अपना दांव खेलने में व्यस्त हैं कि कैसे प्रदेश की जनता को भरमाया जा सके । पंजाब में अनुसूचित जाति समाज की आबादी लगभग 35 प्रतिशत है और किसी भी पार्टी को अनदेखा करने का जोखिम लेने को कोई भी पार्टी  तैयार नहीं है ।

पंजाब में किसी समय बसपा के नो विधायक थे और ऐसा लगने लगा था कि आने वाले समय में बसपा सरकार बना सकती, लेकिन बसपा के नेतृत्व की अनदेखी कहें या कुछ और बामसेफ के जिन केडर बेस कार्यकर्ताओं ने पंजाब में बसपा को खड़ा करने के लिए अपनी नौकरियां तक दांव पर लगा दिया था, धीरे धीरे उन की अहमियत को नज़र अंदाज़ कर दिया गया । जिस का परिणाम ये निकला कि बसपा की विचारधारा को समाज तक ले कर जाने के लिए केडर कैंप लगाने चाहिए थे, वो बंद कर दिए गए । जिस का परिणाम ये निकला कि 2017 के पंजाब विधान सभा चुनावों में बसपा को मात्र 1.5 प्रतिशत ही वोट मिल पाए ।

इस बार बसपा सुप्रीमो मायावती ने सतीश मिश्रा की सलाह पर पंजाब में अकाली दल से गठजोड़ कर लिया । पंजाब के अनुसूचित जाति समाज को अपने साथ जोडने के लिए ना सिर्फ अकाली बसपा गठजोड़ ने बल्कि आम आदमी पार्टी ने भी ये घोषणा कर दी कि अगर उन की सत्ता आती है तो वो पंजाब का उप मुख्यमंत्री किसी दलित को बनायेंगे ।

तो दूसरी तरफ़ पंजाब की सत्ता पर काबिज कांग्रेस में कैप्टन अमरिंदर सिंह को ले कर घमासान मचा हुआ था, तो कांग्रेस ने अकाली दल और आम आदमी पार्टी द्वारा किसी दलित को उप मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा से निपटने के लिए आनन फानन में अनुसूचित जाति के विधायक चरनजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्यमंत्री बना कर अपने विरोधियों को चारों खाने चित कर दिया ।

कांग्रेस के इस फैसले के बाद मीडिया ने ढिंढोरा पीटना शुरू कर दिया कि कांग्रेस ने एक दलित को मुख्यमंत्री बना कर एससी समाज पर जैसे बहुत बड़ा एहसान कर दिया है ! मीडिया ऐसे प्रचार कर रहा है जैसे किसी दलित को मुख्यमंत्री का पद उसे भीख में दिया गया है ! आज तक पंजाब में सिर्फ स्वर्ण जाति (खास कर जाट समुदाय से) के लोग ही मुख्यमंत्री बनते आए हैं, मुख्य्मंत्री बनने का जितना हक स्वर्ण जाति के लोगों का है, उतना ही हक एससी समाज को भी है ! और उन्हें ये आधिकार किसी के बाप ने नहीं दिया, हमारे बाप बाबा साहिब ने दिया है । उन स्वर्ण जातियों और मीडिया दोनों को ये बात समझ लेनी चाहिए !

पंजाब में चरनजीत सिंह चन्नी का मुख्यमंत्री बन जाना ब्राह्मणवादी लोगों के गले नहीं उतर रहा ! और इस बात का जिक्र यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्वीट में कर भी दिया है । उस ने अनुसूचित जातियों को समाज की नींव बताया है, उस के ये कहने का सीधे तौर पर वर्ण व्यवस्था में शूद्रों का जो स्थान है, उसी को प्रमाणित करता है कि शूद्रों को हमेशा नीचा ही माना जाना चाहिए और उन्हें ऊपर उठने का कोई अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए ।

योगी द्वारा ऐसा बोलना उन की ब्राह्मणवादी मानसिकता को ही प्रमाणित करता है !

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