पूना पैक्ट


 ✍️  अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति का सबसे बड़ा दुश्मन में आज भी गांधी जी को मानता हूं जिसने इनके अधिकारों का हनन किया है ।

#पूना_पैक्ट 

#24_सितम्बर_पुना_पैक्ट_धिक्कार_दिवस_विशेष ...

साथियों' आज 24 सितम्बर है इस दिन पूना पैक्ट के माध्यम से हमारे राजा बनने के अधिकार छिन लिए गए!

पढ़े'.. क्या था पूनापेक्ट, पूना पैक्ट के बारें में बहुत कम लोगों को जानकारी है.. 

आखिर क्या है पूना पैक्ट... यह जानना जरूरी है...24 सितंबर 1932 को पूना पैक्ट लागू हुआ । बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेड़कर जी पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहते थे। उनको हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया। पूना पैक्ट पर सलाह-मशवरा कर, चर्चा या विचार-विमर्श नहीं हुआ!

यानि पूना पैक्ट, एक पार्टी ने दूसरे पार्टी के विरोध मे षड़यंत्र किया ।

षड़यंत्र कारी  मोहनदास करमचन्द गांधी था, और संगठन का नाम कांग्रेस था। बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेड़कर जी ने अपने दस्तावेज में लिखा ''पूना पैक्ट एक शरारतपूर्ण धोखाधडी है। इसको मैंने स्वीकार क्यों किया -? 

मैंने पूना पैक्ट इसलिए स्वीकार किया, क्योंकि गांधीजी ने षड्यंत्र पूर्वक मेरे ऊपर दबाव डालने के लिए येरवडा जेल में आमरन अनशन किया था। उस आमरन अनशन के षड्यंत्रपूर्ण दबाव की वजह से मैंने पूना पैक्ट को स्वीकार कर किया। उस समय गांधी और काँग्रेस के लोगों ने मुझे आश्वासन दिया था, कि अनुसूचित जाति का, जो पूना पैक्ट अन्तर्गत संयुक्त मताधिकार के तहत जो चुनाव होगा, उसमें हस्तक्षेप करने का काम नहीं करेंगे, यह आश्वासन 1932 में गांधी और कांग्रेस के लोगों ने बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेड़कर जी को दिया था । 

यह आश्वासन 1934 में सेण्डइण्डिया एक्ट 35 के अंतर्गत प्रोविंशियल गवर्नमेंट के लिए भारत में चुनाव हुआ और उस चुनाव में कांग्रेस और गांधी ने उस दिए हुए आश्वासन का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन किया और इतना ही नहीं इन दोनों ने 1937 के चुनाव में हस्तक्षेप भी किया। हमारे लोग एक तो पढते नहीं हैं और अगर पढते भी हैं तो समझ नहीं पाते और अगर समझ आ भी जाता हैं तो वह अन्य लोगों को बताते नहीं, क्योंकि बताने के लिए उन्हें हिम्मत और साहस ही नहीं होता हैं। इस तरह से सिध्द होता है कि पूना पैक्ट के विरोध में बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेड़कर जी ने तीन किताबें लिखी 

(1) गांधी और कांग्रेस ने अछूतों के साथ क्या व्यवहार किया ?

(2)गांधी और अछूतों की आजादी! 

(3) राज्य और अल्पसंख्यक!

इन तीनों किताबों में इन सारी बातों की जानकारी विस्तारपूर्वक से लिखी गई है! 

जब बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेड़कर जी को मजबूर होकर पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर करना पडा, तो दूसरे ही दिन उन्होंने पूना से चलकर बम्बई आये और पूना पैक्ट का धिक्कार किया और उन्होंने ये बातें कहीं ।

(1) जो लोग ऐसा कहते हैं कि पृथक निर्वाचन क्षेत्र ( Separate Electorates ) से नुकसान होगा, तो मुझे उनसे कहने में किसी किस्म का तर्क या दलील नजर नहीं आता ।

(2) दूसरा मुद्दा उन्होंने कहा कि जो लोग ऐसा सोंचते हैं कि संयुक्त निर्वाचन क्षेत्र ( Joint Electorates ) से अछूत, हिन्दू समाज का अभिन्न अंग बन जाऐंगे, अर्थात संयुक्त हो जाएंगे, इस पर मेरा बिलकुल यकीन और विश्वास नहीं हैं । 1932 में यह बात बाबा साहेब ने कही ....

आज सन 2021 चल रहा हैं, परन्तु अछूतों के ऊपर सारे देशभर में अत्याचार और अन्याय हो रहे हैं, इससे सिद्द होता हैं कि अछूत हिन्दू समाज का अभिन्न अंग नहीं हैं! उस समय सवर्ण हिन्दुओं ने कहा था कि संयुक्त निर्वाचन क्षेत्र से अछूत हिन्दू समाज का अभिन्न अंग बनेंगे, ऐसा नहीं हो पाया। अछूत इस वजह से दु:खी थे, और दु:खी होने का उनका जायज कारण था। 

यह सारी बातें बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेड़करजी ने 25 सितंबर 1932 में पूना से बम्बई आकर एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह वास्तविक बातें आप लोगों को इसलिए बतायी जा रही हैं, कि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेड़कर जी किसी भी परिस्थिति में पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर करने वाले नहीं थे, क्योंकि वे जानते थे कि भविष्य में ऐसा भयानक षड्यंत्र हो सकता हैं....!

इस लिए साथियों पूना पैक्ट के माध्यम से ही दलालो एवं भडुओं की पहचान की गई है .

जय भीम जय मूलनिवासी जय संविधान जय भारत।

: जागो मूलनिवासी जागो

भैरूलाल नामा

फूले शाहू अम्बेडकर विचारक

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