जिवन पर कविता

 #जय_भिम

#नमो_बुध्दय


 सपने मे अपनी मौत को करीब से देखा....


कफ़न में लिपटे तन जलते अपने शरीर को देखा.....


खड़े थे लोग हाथ बांधे एक कतार में...


कुछ थे परेशान कुछ उदास थे .....


पर कुछ छुपा रहे अपनी मुस्कान थे..


दूर खड़ा देख रहा था मैं ये सारा मंजर.....


.....तभी किसी ने हाथ बढा कर मेरा हाथ थाम लिया ....


और जब देखा चेहरा उसका तो मैं बड़ा हैरान था.....


हाथ थामने वाला कोई और नही...मेरा भगवान था...


चेहरे पर मुस्कान और नंगे पाँव था....


जब देखा मैंने उस की तरफ जिज्ञासा भरी नज़रों से.....


तो हँस कर बोला.... 

';तूने हर दिन दो घडी जपा मेरा नाम था.....

आज प्यारे उसका क़र्ज़ चुकाने आया हूँ...।';


रो दिया मै.... अपनी बेवक़ूफ़ियो पर तब ये सोच कर .....


जिसको दो घडी जपा

वो बचाने आये है... 

और जिन मे हर घडी रमा रहा

वो शमशान पहुचाने आये है....


तभी खुली आँख मेरी बिस्तर पर विराजमान था.....

कितना था नादान मैं हकीकत से अनजान था....


s.k.g...namo buddha

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