मिलना भी जरूरी था

 Good morning

Firend's....🌹


वही हैं सूरतें अपनी

वही मैं हूँ, वही तुम हो

मगर खोया हुआ हूँ मैं

मगर तुम भी कहीं गुम हो

मोहब्बत में दग़ा की थी

सो काफ़िर थे सो काफ़िर हैं

मिली हैं मंज़िलें फिर भी

मुसाफिर थे मुसाफिर हैं

तेरे दिल के निकाले हम

कहाँ भटके कहाँ पहुंचे

मगर भटके तो याद आया

भटकना भी ज़रूरी था

मोहब्बत भी ज़रूरी थी

बिछड़ना भी ज़रूरी था

ज़रूरी था की हम दोनों

तवाफ़े आरज़ू करते

मगर फिर आरज़ूओं का

बिखरना भी ज़रूरी था

तेरी आँखों के दरिया का

उतरना भी ज़रूरी था ...


#Fateh_khan   sir,

 का गाना  सिधा दिल मे समा गया है..


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