भारत देश की समस्या एवं प्रेेणदायक

 जय भिम...... बोलने की आद्त है... मुझें


आपको.....

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एक बार एक क्लास में मास्टर जी ने सोचा की आज बच्चो की इम्तिहान लिया जाए की वो राष्ट्रवादी तथ्यों को कितना जानते व समझते हैं,

इसलिए उन्होंने पहली बेंच से सवाल का आरम्भ किया

पहले लड़के से पूछा :

भारत की एक समस्या बताओ ?

लड़के ने कहा : गरीबी ….

दुसरे लड़के से भी वही सवाल :

भारत की एक समस्या बताओ ?

दुसरे लड़के ने कहा : आतंकवाद

तीसरे लड़के से पूछा :

भारत की एक समस्या बताओ?

तीसरे ने कहा :

भ्रष्टाचार। इस तरह वो हर एक लड़के से सवाल पूछते गए सबने ने अलग अलग जवाब दिए कोई कहता पाकिस्तान …

कोई अशिक्षा …

कोई कहता कन्या भ्रूण हत्या ..

कोई कहता बेरोजगारी ….

कोई कहता नेता, इस तरह से क्रम आगे बढ़ता गया| कक्षा में कुल 101 विध्यार्थी थे ….

अब तक मास्टर जी कुल 100 से वही सवाल पूछ चुके थे और सभी 100 छात्रों ने अलग अलग समस्या बताई किसी ने बड़ी बड़ी समस्या बताई तो किसी ने छोटी लेकिन सब ने अलग अलग समस्या बताई अब बारी थी छात्र नम्बर 101 की ……

जो की अनुसूचित जाती से था ।

वो हमेशा कक्षा में अव्वल आता था मास्टर जी ने पासा पलटा मास्टर जी ने उस लड़के की बुद्धिमता जांचने केलिए सवाल बदला और कहा :

यहाँ जितनो ने जितनी भी समस्या बताई है सब का निदान बताओ ? इन सभी समस्यों को समाधान बताओ?

वो बालक तनिक भी नहीं घबराया ..उसने उलटे मास्टर जी से पूछा मास्टर जी 100 समस्या का एक हल बताऊ या 100 समस्या के 100 हल बताऊ, अब मास्टर जी चौक पड़े ….वो सोचने लगे इतनी सारी समस्या का एक हल कैसे हो सकता हैं उनकी उतेजना बढती जा रही थी

मास्टर जी ने कहा :

100 समस्या का एक हल संभव हैं क्या ?

बालक ने कहा : बिलकुल हैं …

मास्टर जी : बताओ ज़रा………….

आपको पता है बालक ने क्या कहा बालक ने कहा :

मास्टर जी .इन सब समस्या का एक ही हल हैं और वो है इस देश से जातिवाद को ख़त्म कर दो सब ठीक हो जायेगा,

क्योंकि इस देश में सब अपनी जाती के लिए जीते-मरते हैं देश के लिए नहीं...

“जिस समाज का इतिहास नहीं होता,

वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता…

क्यूकी,

इतिहास से “प्रेरणा” मिलती है,

प्रेरणा से “जागृति” आती है,

जागृति से “सोच” बनती है,

सोच से “ताकत”:बनती है,

ताकत से “शक्ति” बनती है,

और शक्ति से “शासक” बनता है…!!”

पता है उस बच्चे का क्या नाम था

जी हा सही सोचा

– डा. भीम राव अम्बेडकर

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